काफी दिनों के बाद आज फिर से एक कविता अपनी अपनी अमूल्य राय देना
मनमोहन कसाना
09672281281
मैं चाहता हूं
खुले नील गगन में
बिना पंखों के उडना
ठीक वैसे ही मैं चाहता हूं
जाना
मंदिर और मस्जिद
रोज इमाम और पंडित की तरह
मैं चाहता हूं
रहें मेरी
बहिन बेटी और वीवी
दिल्ली मुम्बई में भी
मेरे भूले हुये
गांव की तरह
एक आदमी जो आम भी नहीं रहा
मनमोहन कसाना
09672281281
मैं चाहता हूं
खुले नील गगन में
बिना पंखों के उडना
ठीक वैसे ही मैं चाहता हूं
जाना
मंदिर और मस्जिद
रोज इमाम और पंडित की तरह
मैं चाहता हूं
रहें मेरी
बहिन बेटी और वीवी
दिल्ली मुम्बई में भी
मेरे भूले हुये
गांव की तरह
एक आदमी जो आम भी नहीं रहा
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